सत्य साई बाबा के बिना भारत एक बेहतर जगह हो गया होता
सनल एडमरूकु
प्रेसीडेंट
इंडियन रॅशनलिस्ट असोसियेशन & रॅशनलिस्ट इंटरनॅशनल
प्रकाशन ऑनलाइन: अप्रेल २६, २०११
आज सुबह जब (२४ अप्रैल २०११) सत्य साईं बाबा का ८५ साल की उम्र में निधन हो गया, तो एक बार फिर उनका चमत्कार और भविष्यवाणी विफल साबित हुई| उन्होंने सन् २००० में पुट्तपरती में स्थित अपने मुख्यालय में,एक सार्वजनिक सभा में भविष्यवाणी की थी कि वह ९६ वर्ष की उम्र में ही मरेंगे | और आखिरी क्षण तक, उनके भक्त एक चमत्कार का इंतज़ार करते रहे |उनकी म्रत्यु उनके गुमराह भक्तों के लिए एक सबक है |
De mortuis nihil nisi bene कहा जाता है "मृतकों को अच्छा कुछ नहीं कह सकते तो बेहतर है कुछ नही बोलो ". लेकिन मुझे लगता है कि सत्य साई बाबा इसके अपवाद हैं| उन्होंने देश के लिए जो किया है वह एक महान् क्षति है | उनके हानिकारक प्रभाव से वैज्ञानिक सोच पर एक भारी झटका लगा है | एक समय था जब वैज्ञानिक प्रगति हमारे अच्छे समाज और आर्थिक उन्नति का कारण बनने लगी थी , और वैज्ञानिक जागृति भारत भर में फैलनी शुरू हो गयी थी सत्य साई बाबा का अंधविश्वास एक "काउंटर क्रांति" था ,जिसे गैर जिम्मेदार नेताओं और लोंगों ने साथ दिया | मेरे हिसाब से यह सबसे बड़ा अपराध है |मैं एक बार फिर उनकी धोखाधड़ी को सार्वजनिक रूप से उजागर करने में सफल रहा हूँ | इसके बाद कई तर्कशास्त्री भी इस मुद्दे पर आगे आए | ऐसा नही है की उन पर सिर्फ़ कई अपराधिक आरोप लगाए गये हों कथित तौर पर यौन शोषण और हत्या के कई मामलों की अभी जांच जारी है, लेकिन अपने राजनीतिक सरंक्षण के कारण उन्हे अब तक उनके अपराधों के खिलाफ जिम्मेदार नहीं ठहराया गया | उनके साम्राज्य के वित्तीय आँकड़ों का उल्लेख भी किसी के पास नहीं है |
सत्य साईं बाबा गंभीरता से इस बात को कहते थे कि वह भगवान है और, ब्रह्मांड के निर्माता है, और छोटे बड़े 'चमत्कार' के साथ अपने देवत्व को "साबित" करते रहते थे| गांव के तांत्रिक के बेटे होने के कारण वे हाथ की सफाई से भी परिचित थे | यदद्पि अपने धोखाधड़ी प्रदर्शन से ना केवल गरीब और अशिक्षित ग्रामीणों को मोहित किया बल्कि इन वर्षों में, वह मंत्रियों, प्रधानमंत्रियों, राष्ट्रपति, मुख्य न्यायाधीश, शीर्ष उद्योगपतियों , सुपरस्टार भारत के अमीर और ताक़तवरों को आकर्षित करने में भी कामयाब रहे |
सत्या साई बाबा का काम करने का एक विशेष ढंग था जिसके कारण उन्हे लोगों के बीच भारी दबदबा बनाए रखने मैं आश्चर्यजनक सफलता मिली | बहुत सारे उच्च समाज भक्त अपने निहित स्वार्थ के कारण उनके साथ आये , तो बहुत उनके साथ इसलिये शामिल हो गए है क्योंकि यह एक शक्तिशाली क्लब की तरह था जो सभी राजनीतिक प्रणाली पर अपना जाल फेला कर काम कर रहा था | कई लोगों के लिए यह शीर्ष नौकरी पाने के लिए एक रास्ता था तो कई को बेईमानी से मिले काले धन से छुटकारा प्राप्त करने का रास्ता था | उनके साम्राज्य पर यह आरोप लगाया जाता है,कि वे विदेशी भक्तों के मध्यम से काले धन को वैध किया करते थे | यह भी एक आश्चर्य कि बात है साई बाबा तेलुगु के अलावा किसी अन्य भाषा मैं बोलते नहीं थे लेकिन अपने पूरे जीवन में केवल एक बार विदेश यात्रा पर गये - युगांडा में अपने दोस्त ईदी अमीन से मिलने |
अपने ८० वें जन्मदिन पर साई बाबा के समर्थकों ने सारी दुनिया के सामने उन्हे एक चमत्कारी आदमी से एक परोपकारी संत के रूप में प्रस्तुत किया | ये इसलिए हुआ क्यूंकी अक्सर मैं अपने टीवी शो में उनके चमत्कार का प्रदर्शन किया करता था और धीरे धीरे सड़कों में भी कई बच्चे उनकी नकल करते देखे जाने लगे | इसके बाद कि सारी ज़िंदगी संत का चोला पहन कर गैर सामाजिक कार्यों को अंजाम देते रहे |
बाद में उन्होंने अपने पुश्तैनी गांव के चारों ओर सामाजिक विकास कारया ,अस्पताल खुलवाए ,ग़रीबों के लिए स्कूल और पेयजल परियोजनाए आदि सामाजिक काम करके लोगों के बीच संत के रूप में उपस्थित हुए , हो सकता है ये सामाजिक कार्य ग़रीबों के लिए उपयोगी हों लैकिन इस तरह के परोपकारी कार्य तो माफिया मलिक भी करते हैं| इन अच्छे कार्य को उनके अपराधों और भारतीय समाज के लिए किए गये नुकसान के खिलाफ नहीं तौला जा सकता है |
दिसंबर 2005 में मैने तत्कालीन राष्ट्रपति डा. अब्दुल कलाम,जो कि साई बाबा के उत्साही समर्थकों में से एक है, एक पत्र लिखा था ,जिसका आज तक जवाब नही आया| पत्र में मैंने साई बाबा के अपराधिक जांच की मांग की थी |यह भी लिखा था कि उनके सामाजिक विकास परियोजनाओं के लिए किए गये काम के कारण अगर उनके अपराधों को सरंक्षण दे दिया गया है, तो यह प्रक्रिया अस्वीकार्य है| यह भारत के लिए शर्म की बात है कि क़ानून भी बिना किसी जांच के साई बाबा के खिलाफ आरोपों और गवाहों की अनदेखी कर रहा हैं | क्या हमारा क़ानून भगवा वस्त्र धारी अपराधी के लिए अछूत है? क्या हमे ये बर्दाश्त करना चाहिए कि राजनीतिक संरक्षणवाद इतनी निर्भीकता से सिर उठाता रहे ? ये भारत के लोकतंत्र का मजाक है |
सत्य साईं बाबा भारत के लिए एक महान क्षति का कारण है| उनके गैर जिम्मेदाराना राजनीतिक संरक्षक भारत की राजनीतिक संस्कृति को भ्रष्ट करती है| सत्य साई बाबा के चमत्कार से उत्साहित हो कर एक नया समुदाय उनका अनुगमन करने लगा है| आज भारत सत्य साई बाबा के बिना कुछ और बेहतर हो गया होता |
हिन्दी अनुवादक: दीपाली सिन्हा